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Monday 12 October 2015

चोट लगने पर न करें इन गलतियों को

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‘जले पर झट से घी लगा दो, जिससे ठंडक मिले।’ हम ऐसे ही कई नुस्ख़ों पर पर विश्वास करके तुरंत इलाज करने लग जाते हैं, लेकिन इसके जैसी और कई सारी ग़लतियों के कारण मरीज की मुसीबत बढ़ सकती है। इन सभी गलतियों को करने से बचने के लिए पढ़ें ये आलेख :
जलने पर सिर्फ़ पानी की ठंडक
रसोई में काम करते वक़्त हाथ जलने पर कई लोग ठंडक पाने के लिए जले पर मक्खन, घी या तेल लगा लेते हैं। इससे इन्फेक्शन फैल सकता है और टूथपेस्ट के रसायन घाव बढ़ा भी सकते हैं।

सही तरीक़ा- जलन शांत करने के लिए ठंडे पानी में कुछ देर हाथ डालकर रखें। जलन शांत होते ही घाव पर मलहम लगाएं, पर पट्टी क़तई न बांधें। घाव गम्भीर हो, तो तुरंत डाॅक्टर को दिखाएं, क्योंकि जलने पर नाज़ुक हो चुकी त्वचा में 48 घंटे के भीतर इन्फेक्शन तेजी से फैलता है।

नाक से ख़ून बहना
नकसीर फूटने पर सिर को पीछे की ओर झुकाकर लेटने से नाक से निकलने वाला ख़ून बंद नहीं होता, बल्कि यह ब्लड फेफड़ों में भी जा सकता है। इससे मरीज़ की जान को ख़तरा हो सकता है।
सही तरीक़ा- नकसीर फूटने के लिए शरीर में बढ़ गई गर्मी जि़म्मेदार होती है, इसलिए मरीज़ का सिर गीला करें और उसे ठंडे वातावरण में लिटा दें। इस दौरान तकिया न लगाएं और न ही सिर को पीछे की ओर झुकाकर रखें। बहता ख़ून रोकने के लिए 5-10 मिनट अंगूठे और उंगली से नाक बंद करें और मुंह से सांस लें। ये उपाय अपनाने के बावजूद 30 मिनट के भीतर समस्या हल न हो, तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।

चोट लग गई या कट गया?
हम हमेशा बच्चों की चोट को पानी से धोकर, एंटीसेप्टिक लोशन लगाकर पट्टी बांध देते हैं, पर इससे घाव बढ़ भी सकता है।
सही तरीक़ा- चोट को सादे के बजाय एंटीसेप्टिक मिले पानी से धोएं, फिर उस पर एंटीसेप्टिक लोशन और दवा लगाएं। पट्टी बांधनी है या नहीं यह चोट को देखकर तय करें। खरोंच आई है, तो उसे खुला ही रहने दें। वहीं गहरे घाव पर पट्टी बांधें, ताकि धूल-मिट्टी या हवा के सम्पर्क में आने के कारण इन्फेक्शन न बढ़े। कई बार ड्रेसिंग में इस्तेमाल हुई रूई इन्फेक्टेड होने के कारण घाव बढ़ देती है, इसलिए फर्स्ट एड बॉक्स की रूई को हमेशा एयरटाइट डिब्बे या पॉलीथिन में सील पैक करके रखें। इसके अलावा हर महीने फर्स्ट एड बॉक्स में रखी दवाइयों की एक्सपायरी डेट जांचें और आवश्यकतानुसार उन्हें बदलें।

इनका भी रखें ख़्याल
गहरा कटने पर ख़ून रोकने के लिए पट्टी ज़रूर बांधें पर बहुत कसी हुई नहीं, अन्यथा चोट के आसपास के टिश्यूज़ डैमेज होने के कारण सूजन और दर्द बढ़ेगा।
दुर्घटना में घायल व्यक्ति को हाथ-पैर पकड़कर न उठाएं। इस दौरान उसके फेफड़ों, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में आई चोट गम्भीर रूप ले सकती है। इसलिए घायल के हाथों को सामने की ओर सीधा रखें और पूरे शरीर को सहारा देते हुए उठाएं। बेहोश व्यक्ति की आंखों पर पानी के छींटें मारने से कोई फ़ायदा नहीं होगा, उसे ठंडे वातावरण में लिटाएं और आवाज़ देकर जगाने की कोशिश करें। जल्द होश न आए, तो डॉक्टर से सम्पर्क करें।
हार्टअटैक आने पर मरीज़ को घर से बाहर तक चलाकर या लिफ़्ट पर खड़ा कर ले जाने की ग़लती न करें। उसे जल्द से जल्द सीधा लिटा दें और गोद में उठाकर गाड़ी तक ले जाएं।

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